Shree Shiv Amritwani Bhajan lyrics - Anuradha Paudwal | Sawan Maas Special | T Series Bhakti Sagar - Lyrics aada - All Latest song lyrics

Lyrics Aada is sharing all the latest songs lyrics in Hindi , English, Punjabi, Bengali, Marathi, and Tamil languages, etc. Lyrics Aada is also given information about song details.

Monday, 13 July 2020

Shree Shiv Amritwani Bhajan lyrics - Anuradha Paudwal | Sawan Maas Special | T Series Bhakti Sagar

Shree Shiv Amritwani  - Anuradha Paudwal 

सीरीज़ भक्ति सागर में "शिव अमृतवाणी" प्रस्तुत है, जिसे अनुराधा पौडवाल ने गाया है और संगीत सुरिंदर कोहली ने दिया है | शिव जी को सावन मास का महीना बहुत पसंद है, इस लिए अगर आप सावन मास में शिव जी की अमृतवाणी सुनते हो तो आपका रोम रोम खुशमाये हो जाता है | 
Shree Shiv Amritwani Bhajan lyrics - Anuradha Paudwal | Sawan Maas Special | T Series Bhakti Sagar

Shiv Amritwani Bhajan lyrics Credits: 

Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Surinder Kohli
Lyricist: Balbir Nirdosh
Album Name: Shiv Amritwani
Music Label: T-Series

Shiv Amritwani  lyrics


शिव अमृत की पावन धारा धो देती हर कष्ट हमारा
शिव का काज सदा सुखदायी शिव के बिन है कौन सहायी
शिव की निसदिन की जो भक्ति देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव नाम की धुली टूट जायेगी यम कि सूली,

शिव का साधक दुःख ना माने शिव को हरपल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर लूटे ना उसको पांचो चोर
शिव सागर में जो जन डूबे संकट से वो हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी उन्हें ना विपदा कभी सताती, 

शिव भक्तन का पकडे हाथ शिव संतन के सदा ही साथ
शिव ने है बृह्माण्ड रचाया तीनो लोक है शिव कि माया
जिन पे शिव की करुणा होती वो कंकड़ बन जाते मोती
शिव संग तान प्रेम की जोड़ो शिव के चरण कभी ना छोडो, 

शिव में मनवा मन को रंग ले शिव मस्तक की रेखा बदले
शिव हर जन की नस-नस जाने बुरा भला वो सब पहचाने,

अजर अमर है शिव अविनाशी शिव पूजन से कटे चौरासी
यहाँ वहाँ शिव सर्व व्यापकशिव की दया के बनिये याचक,

शिव को दीजो सच्ची निष्ठां होने न देना शिव को रुष्टा
शिव है श्रद्धा के ही भूखे भोग लगे चाहे रूखे-सूखे
भावना शिव को बस में करती प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती।
शिव कहते है मन से जागो प्रेम करो अभिमान त्यागो।

दुनिया का मोह त्याग के शिव में रहिये लीन ।
सुख-दुःख हानि-लाभ तो शिव के ही है अधीन।
भस्म रमैया पार्वती वल्ल्भ शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महा कौतुकी है शिव शंकर त्रिशूल धारी शिव अभयंकर,

शिव की रचना धरती अम्बर देवो के स्वामी शिव है दिगंबर
काल दहन शिव रूण्डन पोषित होने न देते धर्म को दूषित
दुर्गापति शिव गिरिजानाथ देते है सुखों की प्रभात
सृष्टिकर्ता त्रिपुरधारी शिव की महिमा कही ना जाती,

दिव्या तेज के रवि है शंकर पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम और कोई और दानी शिव की भक्ति है कल्याणी
सबके मनोरथ सिद्ध कर देते सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत सवरूपा शिव दर्शन है अति अनुपा,

अनुकम्पा का शिव है झरना हरने वाले सबकी तृष्णा
भूतो के अधिपति है शंकर निर्मल मन शुभ मति है शंकर
काम के शत्रु विष के नाशक शिव महायोगी भय विनाशक
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी शिव के जैसा कौन तपस्वी,

शिव है जग के सृजन हारे बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गौ ब्राह्मण के वे हितकारी कोई न शिव सा पर उपकारी
शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियो प्रीत
शिव ही परम पुनीत है शिव साचे मन मीत ।

शिव सर्पो के भूषणधारी पाप के भक्षण शिव त्रिपुरारी
जटाजूट शिव चंद्रशेखर विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
शिव की वंदना करने वाला धन वैभव पा जाये निराला
कष्ट निवारक शिव की पूजा शिव सा दयालु और ना दूजा,

पंचमुखी जब रूप दिखावे दानव दल में भय छा जावे
डम-डम डमरू जब भी बोले चोर निशाचर का मन डोले
घोट घाट जब भंग चढ़ावे क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी शिव ही है कैलास के वासी, 

शिव का दास सदा निर्भीक शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे शिव की मूरत राखो मन में
शिव का अर्चन मंगलकारी मुक्ति साधन भव भयहारी
भक्त वत्सल दीन द्याला ज्ञान सुधा है शिव कृपाला,

शिव नाम की नौका है न्यारी जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना शिव का हरपल नाम सुमिरना
तारकासुर को मारने वाले शिव है भक्तो के रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना शिव को भूल के ना बिसराना,

अन्धकासुर से देव बचाये शिव ने अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणो से लिपटे रहिये मुख से शिव शिव जय शिव कहिये
भस्मासुर को वर दे डाला शिव है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो मन चाहे वर शिव से लीजो,

शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग
शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोक
ब्र्हमा विष्णु शिव अनुगामी शिव है दीन – हीन के स्वामी
निर्बल के बलरूप है शम्भु प्यासे को जलरूप है शम्भु,

रावण शिव का भक्त निराला शिव ने दी दश शीश कि माला
गर्व से जब कैलाश उठाया शिव ने अंगूठे से था दबाया,

दुःख निवारण नाम है शिव का रत्न है वो बिन दाम शिव का
शिव है सबके भाग्यविधाता शिव का सुमिरन है फलदाता
महादेव शिव औघड़दानी बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल निराला शिव का हर एक खेल निराला,

शम्भर नामी भक्त को तारा चन्द्रसेन का शोक निवारा
पिंगला ने जब शिव को ध्याया देह छूटी और मोक्ष पाया
गोकर्ण की चन चूका अनारी भव सागर से पार उतारी
अनसुइया ने किया आराधन टूटे चिन्ता के सब बंधन,

बेल पत्तो से पूजा करे चण्डाली शिव की अनुकम्पा हुई निराली
मार्कण्डेय की भक्ति है शिव दुर्वासा की शक्ति है शिव
राम प्रभु ने शिव आराधा सेतु की हर टल गई बाधा
धनुषबाण था पाया शिव से बल का सागर तब आया शिव से,

श्री कृष्ण ने जब था ध्याया दश पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है अनहद अन्तर्यामी शिव है
दीन दयालु शिव मेरे, शिव के रहियो दास
घट – घट की शिव जानते , शिव पर रख विश्वास,

परशुराम ने शिव गुण गाया कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव निराकार शिव है सृष्टि के आधार
शिव ही होते मूर्तिमान शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी शिव की सिद्धि है भयहारी, 

शिव ही बाहर शिव ही अन्दर शिव ही रचना सात समुन्द्र
शिव है हर इक के मन के भीतर शिव है हर एक कण – कण के भीतर
तन में बैठा शिव ही बोले दिल की धड़कन में शिव डोले
‘हम’ कठपुतली शिव ही नचाता नयनों को पर नजर ना आता,

Shree Shiv Amritwani Bhajan lyrics - Anuradha Paudwal | Sawan Maas Special | T Series Bhakti Sagar

माटी के रंगदार खिलौने साँवल सुन्दर और सलोने
शिव हो जोड़े शिव हो तोड़े शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
आत्मा शिव परमात्मा शिव है दयाभाव धर्मात्मा शिव है
शिव ही दीपक शिव ही बाती शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी, 

सब देवो में ज्येष्ठ शिव है सकल गुणो में श्रेष्ठ शिव है
जब ये ताण्डव करने लगता बृह्माण्ड सारा डरने लगता
तीसरा चक्षु जब जब खोले त्राहि त्राहि यह जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना आस्था लग्न बनाये रखना,

विष्णु ने की शिव की पूजा कमल चढाऊँ मन में सुझा
एक कमल जो कम था पाया अपना सुंदर नयन चढ़ाया
साक्षात तब शिव थे आये कमल नयन विष्णु कहलाये
इन्द्रधनुष के रंगो में शिव संतो के सत्संगों में शिव,

महाकाल के भक्त को मार ना सकता काल
द्वार खड़े यमराज को शिव है देते टाल,

यज्ञ सूदन महा रौद्र शिव है आनन्द मूरत नटवर शिव है
शिव ही है श्मशान के वासी शिव काटें मृत्युलोक की फांसी
व्याघ्र चरम कमर में सोहे शिव भक्तों के मन को मोहे
नन्दी गण पर करे सवारी आदिनाथ शिव गंगाधारी,

काल में भी तो काल है शंकर विषधारी जगपाल है शंकर
महासती के पति है शंकर दीन सखा शुभ मति है शंकर
लाखो शशि के सम मुख वाले भंग धतूरे के मतवाले
काल भैरव भूतो के स्वामी शिव से कांपे सब फलगामी, 

शिव है कपाली शिव भस्मांगी शिव की दया हर जीव ने मांगी
मंगलकर्ता मंगलहारी देव शिरोमणि महासुखकारी
जल तथा विल्व करे जो अर्पण श्रद्धा भाव से करे समर्पण
शिव सदा उनकी करते रक्षा सत्यकर्म की देते शिक्षा,

वासुकि नाग कण्ठ की शोभा आशुतोष है शिव महादेवा
विश्वमूर्ति करुणानिधान महा मृत्युंजय शिव भगवान
शिव धारे रुद्राक्ष की माला नीलेश्वर शिव डमरू वाला
पाप का शोधक मुक्ति साधन शिव करते निर्दयी का मर्दन,

शिव सुमरिन के नीर से धूल जाते है पाप
पवन चले शिव नाम की उड़ते दुख संताप
पंचाक्षर का मंत्र शिव है साक्षात सर्वेश्वर शिव है
शिव को नमन करे जग सारा शिव का है ये सकल पसारा,

क्षीर सागर को मथने वाले ऋद्धि सीधी सुख देने वाले
अहंकार के शिव है विनाशक धर्म-दीप ज्योति प्रकाशक
शिव बिछुवन के कुण्डलधारी शिव की माया सृष्टि सारी
महानन्दा ने किया शिव चिन्तन रुद्राक्ष माला किन्ही धारण,

भवसिन्धु से शिव ने तारा शिव अनुकम्पा अपरम्पारा
त्रि-जगत के यश है शिवजी दिव्य तेज गौरीश है शिवजी
महाभार को सहने वाले वैर रहित दया करने वाले
गुण स्वरूप है शिव अनूपा अम्बानाथ है शिव तपरूपा,

शिव चण्डीश परम सुख ज्योति शिव करुणा के उज्ज्वल मोती
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर महादयालु शिव शरणेश्वर
शिव चरणन पे मस्तक धरिये श्रद्धा भाव से अर्चन करिये
मन को शिवाला रूप बना लो रोम रोम में शिव को रमा लो,

दशों दिशाओं मे शिव दृष्टि सब पर शिव की कृपा दृष्टि
शिव को सदा ही सम्मुख जानो कण-कण बीच बसे ही मानो
शिव को सौंपो जीवन नैया शिव है संकट टाल खिवैया
अंजलि बाँध करे जो वंदन भय जंजाल के टूटे बन्धन,

जिनकी रक्षा शिव करे मारे न उसको कोय
आग की नदिया से बचे बाल ना बांका होय
शिव दाता भोला भण्डारी शिव कैलाशी कला बिहारी
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता विघ्न विनाशक बाधा हर्ता,

शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी शिव से पृथ्वी है उजियारी
गगन दीप भी माया शिव की कामधेनु है छाया शिव की
गंगा में शिव , शिव मे गंगा शिव के तारे तुरत कुसंगा
शिव के कर में सजे त्रिशूला शिव के बिना ये जग निर्मूला,

स्वर्णमयी शिव जटा निराळी शिव शम्भू की छटा निराली
जो जन शिव की महिमा गाये शिव से फल मनवांछित पाये
शिव पग पँकज सवर्ग समाना शिव पाये जो तजे अभिमाना
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें शिव का जादू सिर चढ बोले,

परमानन्द अनन्त स्वरूपा शिव की शरण पड़े सब कूपा
शिव की जपियो हर पल माळा शिव की नजर मे तीनो क़ाला
अन्तर घट मे इसे बसा लो दिव्य जोत से जोत मिला लो
नम: शिवाय जपे जो स्वासा पूरीं हो हर मन की आसा.

परमपिता परमात्मा पूरण सच्चिदानन्द
शिव के दर्शन से मिले सुखदायक आनन्द,

शिव से बेमुख कभी ना होना शिव सुमिरन के मोती पिरोना
जिसने भजन है शिव के सीखे उसको शिव हर जगह ही दिखे
प्रीत में शिव है शिव में प्रीती शिव सम्मुख न चले अनीति
शिव नाम की मधुर सुगन्धी जिसने मस्त कियो रे नन्दी,

शिव निर्मल ‘निर्दोष’ ‘संजय’ निराले शिव ही अपना विरद संभाले
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता भक्तो ने शिव प्रेम से जीता
आंठो पहर अराधीय ज्योतिर्लिंग शिव रूप
नयनं बीच बसाइये शिव का रूप अनूप,

लिंग मय सारा जगत हैं
लिंग धरती आकाश
लिंग चिंतन से होत हैं सब पापो का नाश,

लिंग पवन का वेग हैं लिंग अग्नि की ज्योत
लिंग से पाताल हैँ लिंग वरुण का स्त्रोत
लिंग से हैं वनस्पति लिंग ही हैं फल फूल
लिंग ही रत्न स्वरूप हैं लिंग माटी निर्धूप,

लिंग ही जीवन रूप हैं लिंग मृत्युलिंगकार
लिंग मेघा घनघोर हैं लिंग ही हैं उपचार
ज्योतिर्लिंग की साधना करते हैं तीनो लोग
लिंग ही मंत्र जाप हैं लिंग का रूम श्लोक
लिंग से बने पुराण लिंग वेदो का सार
रिधिया सिद्धिया लिंग हैं लिंग करता करतार
प्रातकाल लिंग पूजिये पूर्ण हो सब काज
लिंग पे करो विश्वास तो लिंग रखेंगे लाज,

सकल मनोरथ से होत हैं दुखो का अंत
ज्योतिर्लिंग के नाम से सुमिरत जो भगवंत
मानव दानव ऋषिमुनि ज्योतिर्लिंग के दास
सर्व व्यापक लिंग हैं पूरी करे हर आस
शिव रुपी इस लिंग को पूजे सब अवतार
ज्योतिर्लिंगों की दया सपने करे साकार,

लिंग पे चढ़ने वैद्य का जो जन ले परसाद
उनके ह्रदय में बजे… शिव करूणा का नाद
महिमा ज्योतिर्लिंग की जाएंगे जो लोग
भय से मुक्ति पाएंगे रोग रहे न शोब,

शिव के चरण सरोज तू ज्योतिर्लिंग में देख
सर्व व्यापी शिव बदले भाग्य तीरे
डारीं ज्योतिर्लिंग पे गंगा जल की धार
करेंगे गंगाधर तुझे भव सिंधु से पार
चित सिद्धि हो जाए रे लिंगो का कर ध्यान
लिंग ही अमृत कलश हैं लिंग ही दया निधान,

ॐ नमः शिवाय ….. 

ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ 
नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये 
ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये ॐ नम: शिवाये


THANK YOU

No comments:

Post a Comment

Ask me anything