16 सोमवार व्रत में क्या करे क्या न करें
सावन का महीना भगवान् शंकर को समर्पित है। सावन के महीने में 16 सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है।
किन्तु 16 सोमवार के व्रत करने के पहले हमे कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
- 16 सोमवार व्रत के विशेष नियम |
- 16 सोमवार व्रत कैसे करें |
- 16 सोमवार व्रत की पूजा विधि |
- प्रसाद में क्या लगाए |
- प्रसाद उद्यापन क्या खाना खाये |
चलिए जानते है वो कौन कौन से नियम है 16 सोमवार व्रत करने के
- 16 सोमवार के महापावन व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए और जल में कुछ काले तिल डालकर ही स्नान करना चाहिए।
- उसे स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य भगवान को हल्दी मिश्रित जल से अर्घ देना चाहिए।
- इसके बाद ताम्रपत्र में शिवलिंग को रखकर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए।
- इस व्रत में शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, पर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए भगवान शंकर का अभिषेक दूध, दही, घी, मधु, गन्ने का रस, आदि से भी किया जा सकता है।
- भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा 'ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए, श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल से करें।
- भगवान शंकर के साथ माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात, सोमवार की व्रत कथा का पाठ करें या इस कथा को शांति और शुद्ध मन से सुने।
- सोमवार की व्रत कथा सुनने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करके प्रसाद का भोग लगाएं । इसके बाद इस प्रसाद को घर के सारे सदस्यों में बाटे और खुद भी खाये |
- 16 सोमवार के व्रत करने के समय शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।
- 16 सोमवार के व्रत के प्रसाद को ग्रहण करते समय इस बात का ध्यान रखें की उसमे नमक न हो।
- 16 सोमवार तक, हर सोमवार को पूजा का एक निश्चित समय रखें। अलग अलग समय पर पूजा न करे।
- 16 सोमवार तक, हर सोमवार को सिर्फ एक ही समय भोजन करें।
- 16 सोमवार व्रत के प्रसाद में आप चूरमा, खीर, लड्डू या फिर लौंग, तुलसी, गंगाजल, में से कुछ भी अपनी श्रद्धा अनुसार लगा सकते है।
- 16 सोमवार व्रत का प्रसाद एक स्थान पर बैठ कर ही ग्रहण करें ।
- हर सोमवार व्रत के बाद किसी भी एक शादी के जोड़े को अपनी श्रध्या के अनुसार गिफ्ट दे